Durga Pooja दुर्गा पूजा नारी शक्ति का प्रतीक

Durga puja 2021
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Durga Pooja दुर्गा पूजा नारी शक्ति का प्रतीक होता है, यह हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल षष्ठी से शुरू होकर अश्विन शुक्ल दशमी तक मनाई जाती है| सनातन धर्म के अनुसार नवरात्रि पूजा ( Durga Pooja) वर्ष में मुख्यता दो बार मनाई जाती है, एक गुप्त नवरात्र जो कि आषाढ़ मास मास में मनाई जाती है जिसमें दशमी तिथि को हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है| गुप्त नवरात्रि में नवमी की तिथि को रामनवमी मनाई जाती है| इस प्रकार गुप्त नवरात्रि भी धूमधाम से पूरे भारतवर्ष में मनाई जाती है| वेद पुराणों के अनुसार मान्यता है कि मां दुर्गा इन 9 दिनों में धरती पर आती है क्योंकि वह भगवान शिव की अर्धांगिनी है| देवी दुर्गा का जन्म पृथ्वी पर राजा हिमालय के यहां हुआ था, उनकी माता का नाम मैनावती था| नवरात्रि में कैलाश पर्वत से अर्थात अपने ससुराल से अपने मायके ( पृथ्वी ) आती है| भारत के कई राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, बंगाल में उन्हें पुत्री के समान पूजा जाता है इसलिए देवी गौरी के साथ उनके पुत्र देव गणेश और कार्तिक भगवान की पूजा की जाती है व बंगाल में मुख्यता उनके साथ देवी सरस्वती और देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है|

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Devi-Durga
देवी दुर्गा

धार्मिक मान्यता के अनुसार दूसरी कहानी यह है कि जब धरती पर महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार अत्यधिक बढ़ने लगा तो मां पार्वती जी ने अपना रौद्र रूप धारण किया जिसका नाम देवी दुर्गा रखा गया| देवी दुर्गा के 108 नाम है, वेद पुराणों में इसका उल्लेख होता है| देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए शेर पर सवार होकर अपने हाथों में अलग-अलग अस्त्र शस्त्र धारण किए इसके पश्चात उन्होंने राक्षस का वध किया इसलिए दुर्गा पूजा (Durga Pooja) नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है|

जब जब नारी पर अत्याचार बढ़ता है तब तब नारी जो की जननी है जिसका महत्व एक उदाहरण है समूचे संसार में तब वही नारी दुर्गा का रूप धारण कर उस बुरे जन का अंत करने की क्षमता भी अपने अंदर रखती है, इसी कारणवश दुर्गा पूजा नारी शक्ति का प्रतीक मानी जाती है|  वेद पुराणों में कहा गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः” अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का निवास माना जाता है|

दुर्गा पूजा ( Durga Pooja) देवी दुर्गा के नौ रूपों का वर्णन:-

नवरात्रि पूजा महोत्सव में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, मान्यता है कि मां दुर्गा ने इन नौ रूपों को धारण किया था| आइए जानते हैं हम दुर्गा मां के रूपों को –

  1. शैलपुत्री – मां का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री जी का ध्यान किया जाता है, शैल का अर्थ होता है हिमालया| राजा हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इनको शैलपुत्री कहा जाता है| इनका वाहन वृषभ है, इन के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल धारण किया हुआ है| यह पीले फूल से अति प्रसन्न होती है|
Devi Shailputri स्वरूप शैलपुत्री
शैलपुत्री माता , Image Credit: Navbharat Times
  1. ब्रह्मचारिणी – माता ब्रह्मचारिणी जी के दाएं हाथ में माला व बाएं हाथ में कमंडल है| इन्होंने हजारों वर्षों तक तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था इसलिए इनको तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी के नाम से भी जाना जाता है|
Devi Brahmcharani तपश्चारिणी
माता ब्रह्मचारिणी, Image Credit: Patrika.com
  1. चंद्रघंटा – दुर्गा पूजा के तीसरे दिन चंद्रघंटा माता जी की पूजा की जाती है माता के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्रमा विराजमान है इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा | देवी के 10 हाथ सभी अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित है | इनकी आराधना करने से मन को सच्ची शांति मिलती है एवं मन को सुकून मिलता है|
Durga puja - chandraghanta चंद्रघंटा
चंद्रघंटा माता, Image Credit: bhaskar.com
  1. कुष्मांडा – मां का चौथा स्वरूप कूष्मांडा है, पुराणों में ऐसा उल्लेख है कि जब इस संसार की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों तरफ अंधकार था तो मां दुर्गा ने ब्रह्मांड की रचना की थी इसी कारण इन्हें कूष्मांडा कहा जाता है| इनकी आठ भुजाएं हैं और यह शेर की सवारी करती है| देवी के साथ हाथों में चक्र, कमंडल, गदा, धनुष, कमल, कलश, बाण है|
Durga pooja - kushmanda कूष्मांडा
कूष्मांडा माता, Image Credit: Patrika.com
  1. स्कंदमाता – नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है स्कंद भगवान अर्थात कार्तिकेय की मां होने के कारण इनको स्कंदमाता कहा जाता है | इनका वाहन सिंह है, यह माता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी है इसलिए इनके चारों और सूर्य की अलौकिक किरण सूर्य का मंडल सा दिखाई देता है|
Devi Skandmata स्कंदमाता
स्कंदमाता, Image Credit: Bhaskar.com
  1. कात्यायनी – नवरात्रा के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, उन्होंने महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था इसलिए इन्हें कात्यायनी कहा जाता है| इनकी चार भुजाएं होती हैं जिनमें तलवार, कमल फूल से सुसज्जित होती है| 
Durga pooja - katyayani कात्यायनी
कात्यायनी देवी, Image Credit: Bhaskar.com
  1. कालरात्रि – नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की आराधना की जाती है | इनका वर्ण काला होता है, यह देवी असुर शक्तियों का नाश करने वाली देवी है| इनकी तीन आंखें हैं वह चार हाथ है जिसमें तलवार व दूसरे में अस्त्र, तीसरे में अभीमुद्रा है वह चौथे हाथ में वरमुद्रा है | इनका वाहन गधा है|
devi kalratri देवी कालरात्रि
देवी कालरात्रि, Image Credit: Indiatimes.com
  1. महागौरी –  महा अष्टमी को माता महागौरी की अर्चना की जाती है, इनका वर्ण सफेद है यह वस्त्र भी सफेद रंग के धारण करती है |इनका वाहन बैल है| मां जब महादेव को पति रूप में पाने के लिए हजारों सालों से तपस्या कर रही थी जिससे कि उनका वर्णन काला हो गया था लेकिन बाद में भगवान शिव ने इनका वर्ण गौर कर दिया| मां गौरी को श्रीफल अति प्रिय है इनको चढ़ाने से मां अति प्रसन्न होती है | माता के इस रूप को आठ प्रकार के फलों से भोग लगाकर प्रसन्न भी किया जाता है|
Durga pooja - mahagauri माता महागौरी
माता महागौरी, Image Credit: Patrika.com
  1. सिद्धिदात्री – नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है मां सभी प्रकार की सिद्धि देने वाली माता है इसलिए इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है वेद पुराणों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व नामक आठ सिद्धियां है यह आठों सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की कृपा से मिलती है इनको हलवा पूरी, काले चने की सब्जी अति प्रिय है इन का भोग लगाकर मां को प्रसन्न कर सकते हैं|
Durga pooja - siddhidatri मां सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री, Image Credit: Abplive.com

विभिन्न राज्यों के दुर्गा पूजा Durga Pooja महोत्सव

  1. बंगाल – बंगाल का मुख्य त्यौहार दुर्गा पूजा ( Durga Pooja) होता है यहां पर दुर्गा पूजा की शुरुआत महालया से होती है, मां को घर में बुलाने के लिए इसी दिन मां दुर्गा की वंदना की जाती है| ऐसा माना जाता है कि बंगाल में हर मूर्ति कलाकार इस दिन ही उनकी आंख बनाता है| बंगाल में मूर्ति बनाने की विधि भी पूरे भारतवर्ष से अलग होती है, यहां मां की मूर्ति बनाने के लिए जो मिट्टी का उपयोग किया जाता है उसमें वेश्या के घर का आंगन की मिट्टी भी डाली जाती है यह मिट्टी समाज की लालसाएं हैं जो कोठों पर जमा हो जाती हैं. इसे दुर्गा को अर्पित किया जाता है ताकि जिन्होंने ग़लतियां की हैं, उन्हें पापों से मुक्ति मिल जाए|

यहां दुर्गा पूजा (Durga Pooja) के 3 दिन को मुख्यता माना जाता है – महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी| महाष्टमी को संधी पूजा की जाती है, यह दुर्गा पूजा की मुख्य पूजा मानी जाता है| कहा जाता है  कि जिस व्यक्ति ने किसी भी कारणवश नवरात्रि में पूजा नहीं की तो वह संधी पूजा करके दुर्गा पूजा का पूरा फल प्राप्त कर सकता है| संधी पूजा समय अवधि निश्चित होती है| 2023 में संधि पूजा का समय अंतराल 7:34 शाम से 8:22 शाम तक है क्योंकि अष्टमी तिथि शाम 9:53, 21 अक्टूबर 2023 से शुरू होकर अष्टमी तिथि संवत शाम 7:58, 22 अक्टूबर 2023 होगा| इसी समय अवधि शाम 7:34 से शाम 8:22 के बीच होगी| ऐसी मान्यता है कि इस समय अवधि में मां दुर्गा मूर्ति में साक्षात विराजमान होती है| अष्टमी पूजा को कुमारी पूजा की जाती है जिसमें छोटी कन्याओं को सजाया जाता है और मां दुर्गा के समान उनकी पूजा की जाती है| नवमी को संध्या समय में महाआरती की जाती है और उसके अगले दिन सिंदूर खेला जाता है जिसमें सुहागिन महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगा अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है| उसके बाद मूर्ति का विसर्जन किया जाता है इस तरह से दुर्गा पूजा का समापन किया जाता है|

Durga puja
दुर्गा पूजा
  1. उत्तर प्रदेश / बिहार – उत्तर प्रदेश में बिहार में दुर्गा पूजा ( Durga Pooja) धूमधाम से मनाई जाती है| दुर्गा पूजा के प्रथम पूजा को कलश स्थापना या घटस्थापना भी कहा जाता है| पहले कलश में गंगाजल रख उसके नीचे मिट्टी से बना छोटा कुंडा रखते हैं जिसमें जौ के बीज भी डाले जाते हैं, इन बीजों का उगना और हरा भरा होना अच्छा संकेत माना जाता है| कलश के ऊपर नारियल रखा जाता है व आम या अशोक के पत्तों के साथ सजाया जाता है| इस प्रकार घट स्थापना की जाती है| यहां सप्तमी से मां के मुख का दर्शन किया जाता है, 6 दिनों तक मां की सिर्फ आराधना की जाती है| विसर्जन के दिन बिहार में देवी मां को एक बेटी के समान विदा किया जाता है इसलिए उनकी कमर पर लाल रंग की कपड़ों में कुछ शगुन का सामान बांधा जाता है| इस तरह से दुर्गा पूजा महोत्सव का समापन किया जाता है|
  1. गुजरात / राजस्थान – गुजरात व राजस्थान में दुर्गा पूजा ( Durga Pooja) को नवरात्रि पूजा के नाम से संबोधित किया जाता है| गुजरात में नवरात्रि बहुत ही हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है, गुजरात का गरबा रास ( Garba or Dandiya Dance) नृत्य समूचे विश्व में प्रसिद्ध है| अगर गरबा का मतलब गुजरात कहां जाएं तो कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होगी| यहां गरबा सिर्फ नृत्य नहीं माना जाता है यह आनंद व उमंग प्राप्ति करने का माध्यम माना जाता है| गुजरात और राजस्थान में 9 दिनों तक माता के नाम की मिट्टी से बनी घर में दीपक रखे जाते हैं| इसे 9 दिन तक अखंड जलाया जाता है| अगर बात की जाए राजस्थान की तो यहां माता की पूजा पहले दिन से मुहूर्त समय देखकर घटस्थापना की जाती है| मिट्टी से बने एक कुंड में मिट्टी डालकर उसमें जौ या गेहूं के बीज डाले जाते हैं फिर 9 दिनों तक उनको सींचा जाता है वह उनकी पूजा की जाती है| कई महिलाएं अपने घरों में पूरी रात जागकर माता के भजन गाती है जिसे राजस्थानी भाषा में “राती जोगा” कहा जाता है| इस प्रकार से हमारे भारतवर्ष में नवरात्रि पूजा मनाई जाती है|
Garba ras or dandiya dance
गरबा रास नृत्य, Image Credit: Indiatimes.com

भिन्न भिन्न राज्यों की भिन्न-भिन्न वेशभूषाएं

हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान हमारी वेशभूषा व पारंपरिक आभूषणों से होती है इसलिए हम भारतीय हर त्यौहार पर अलग-अलग प्रकार की वेशभूषा पहनते हैं| दुर्गा पूजा पर विशेष प्रकार की वेशभूषा उपयोग में ली जाती है जैसे बंगाल में महिलाएं सफेद व लाल रंग की साड़ी पहनती है वह हाथों पैरों में लाल आलता अर्थात रंग लगाती है| विशेष तौर पर सुहागन महिलाएं हाथों में शंखा पोला पहनती है जो कि हाथी दांत से बनता है इसके साथ लाल रंग की चूड़ियां भी पहनती है| माथे पर टिकुली पहना जाता है और दुर्गा पूजा के दौरान “धुनची नृत्य” किया जाता है जिसमें महिलाएं और पुरुष दोनों मिलकर धुनची नृत्य करते हैं| मिट्टी के कुंड रूपी बने सांचौ में धूप जलाकर मां दुर्गा के सम्मुख नृत्य किया जाता है| उत्तर भारत की बात की जाए तो सभी लोग नए नए वस्त्र पहनते हैं महिलाएं साड़ी व कांच की लाल हरी चूड़ियां पहनती है| 

Dhunuchi Dance in Durga Puja धुनची नृत्य
Dhunuchi Dance in Durga Puja

गुजरात में महिलाएं चनिया चोली व घाघरा चोली पहनती है, आभूषणों में कमरबंद माथापट्टी, रखड़ी, नथ वह हाथों में चूड़ियां वह लाख के चूड़े, लाख के कड़े, पहनकर गरबा खेलती हैं| गरबा नृत्य भी कई प्रकार से खेला जाता है जैसे समूह नृत्य गरबा, दो जोड़ी में गरबा वह हाथों में छोटी मटकी लेकर व रंग बिरंगी छातो को लेकर गरबा नृत्य किया जाता है| डांडिया नृत्य में दो डांडिया के साथ खेला जाता है| पुरुष वर्ग में काफानी कुर्ता पजामा जो कि एक तरह का गुजराती कुर्ता है, पहना जाता है| माथे पर पगड़ी पहनकर गरबा नृत्य किया जाता है| राजस्थान में महिलाएं राजस्थानी पोशाक पहनती है जिसमें जरी पोशाक, गोटा पत्ती पोशाक से बनी राजपूती पोशाक पहनकर महिलाएं गरबा खेलती है| महिलाओं का सबसे पसंदीदा आभूषण बाजूबंद व उसके साथ लूम है| महिलाएं बाजूबंद और लूम पहनकर डांडिया खेलती है| इस तरह से अलग-अलग राज्यों में नवरात्रि की मान्यताएं हैं|

भोजन व जीवनशैली

नवरात्र में मां की आराधना करने व उन को प्रसन्न करने के लिए बहुत से जन् व्रत उपवास रखते हैं| समूचे भारत में व्रत रखने की अलग-अलग विधियां हैं, आइए हम जानते हैं कि मुख्य तरीके कौन-कौन से हैं| वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है कि व्रत रखने से हमारी शरीर पर इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है हमारी पाचन क्रिया मजबूत होती है हमारे शरीर के आंतरिक क्षमता मजबूत होती है| कई लोग नवरात्रि पूरे 9 दिन रखते हैं जिसमें पूरे 9 दिन में सिर्फ एक समय ही अन्न ग्रहण करते हैं| कई लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार सिर्फ जल ग्रहण करके उपासना करते हैं| बिहार राज्य के कई स्थान पर लोग एक तुलसी के पत्ते को खाकर मां की पूजा करते हैं| राजस्थान गुजरात जैसे राज्यों में लोग सहगार कर व्रत करते हैं जिसमें वह साबूदाना सिंघाड़े के आटे से बना मिर्ची बड़ा जो कि प्रसिद्ध व्यंजन है उसे ग्रहण करके आराधना करते हैं वह कुछ वर्ग के लोग जो लहसुन प्याज मांसाहार खाते हैं वह जन भी इन दिनों में इनको वर्जित रखते हैं| इस प्रकार से हमारे संपूर्ण भारत वर्ष में नवरात्रि त्योहार मनाया जाता है|

Image Credit: Bhaskar ABPlive NavBharat Times

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